गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन भी हो सकता है
डरावना सपना देखना कोई बीमारी नहीं है, लेकिन जब यह बार-बार हो, दिनभर काम करने की क्षमता कम करे, दिमाग में उसकी यादें बनी रहें या व्यक्ति सोने से ही डरने लगे, तब इसे नाइटमेयर डिसऑर्डर माना जाता है. ऐसे लोगों में अक्सर थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान की कमी, याददाश्त में कमी और बुरे सपनों का लगातार डर देखने को मिलता है. बच्चों में यह समस्या होने पर माता-पिता की नींद भी प्रभावित होती है.
खास बात ये भी है कि बड़े भी इस तरह का सपना देखते हैं.
हल्का भोजन करें: रात का खाना हल्का और पचने में आसान होना चाहिए। इसे जल्दी खाएं ताकि शरीर को आराम से पचाने का समय मिल सके।
डरावने सपने रात के दूसरे पहर यानी सुबह होने से कुछ घंटे पहले आते हैं. ये सपने बहुत वास्तविक लगते हैं और अक्सर किसी खतरे, पीछा करने, चोट लगने या अन्य डरावनी कंडीशंस से जुड़े होते हैं. ऐसे सपनों से नींद टूटने पर दिल की धड़कन तेज हो सकती है, पसीना आ सकता है और व्यक्ति तुरंत डर या बेचैनी महसूस करता है. खास बात यह है कि जागने के बाद भी सपना साफ तरीके से याद रहता है और उसके कारण दोबारा नींद नहीं आती है.
रात को ध्यान या मेडिटेशन करके सोने से बुरे सपने नहीं आते हैं
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प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड का सपने क्यों आते हैं इसे लेकर ऐसा मानना था कि सपने हमारे अवचेतन मन की एक खिड़की की तरह check here होते हैं और ये हमे उस व्यक्ति के बारे में बताते हैं, जैसे:
यह सपना ये बताता है कि आप अपने जीवन में किसी चीज से भाग रहे हैं. वो चीज आपको असल जिंदगी में भी डर या चिंता दे रही है.
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दवाओं के निर्देशों का पालन करें: दवा लेते समय डॉक्टर के बताए गए निर्देशों का ध्यान रखें। सही तरीके से दवाएं लेने से असर कम हो सकता है।
बुरे सपने कभी भी और किसी भी उम्र में सोने के बाद आ सकते हैं.
थेरेपी या काउंसलिंग से मदद मिल सकती है।